29 लोगों पर दर्ज कराये रेप-एससी/एसटी के फर्जी केस, जाने कैसे मिली वकील को आजीवन कारावास की सजा

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विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

छात्रा से दोषी परमानंद गुप्ता दर्ज कराता था फर्जी केस

लखनऊ। कानपुर के वकील अखिलेश दुबे की तर्ज पर राजधानी में वकील परमानन्द गुप्ता भी लोगों पर फर्जी मुकदमें दर्ज कराकर उन्हें जेल भिजवाता था ।
एससी/एसटी अधिनियम के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मंगलवार को आरोपी वकील परमानन्द गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वकील ने पत्नी के ब्यूटी पार्लर में कार्यरत स्नातक छात्रा पूजा रावत को माध्यम बनाकर 29 लोगों के खिलाफ गैंगरेप और एससी / एसटी समेत गंभीर धाराओं में फर्जी मुकदमें दर्ज कराये थे। जिसमें कई बेगुनाह जेल भी गए। साथ ही सरकारी मुआवजे के लाखों की रकम का भी बंदरबांट करता था ।

इस फैसले से आपराधिक किस्म के वकीलों को न्यायपालिका की तरफ से सख्त सन्देश भी गय विभूतिखंड के तत्कालीन एसीपी राधा रमण सिंह की निष्पक्ष विवेचना के चलते वकील से प्रताड़ित निर्दोषों को न्याय सम्भव हो सका है। दूसरी आरोपी पूजा रावत को कोर्ट ने चेतावनी देते हुए माफीनामा दिया है। विशेष न्यायाधीश ने दोषी वकील पर आजीवन कारावास के साथ ही 5.10. लाख का जुर्माना भी लगाया है। आरोपी वकील ने तख्वा कठौता स्थित खसरा संख्या 351 स के लिए आटा चक्की चलाने वाले विरोधी अरविन्द यादव और उसके छह परिवानी जनों के खिलाफ पूजा रावत के जरिये एससी / एसटी के तहत 18 जनवरी 2025 को मुकदमा दर्ज कराया था। बेगुनाहों के प्लॉट खसरा संख्या 76 की जमीन हड़पने के मकसद से फर्जीवाड़ा हुआ।

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इस मामले की जांच तत्कालीन एसीपी राणा रमण सिंह को सौंपी गई। जांच में आरोप झूठे व निराधार पाए गए। पीड़िता ने मेडिकल कराने से भी इंकार कर दिया। विवेचना में वकील की पत्नी और दोनों आरोपियों के बीच सम्पत्ति का विवाद खुला। 18 झूठे केस विभिन्न थानों में खुद परमानंद ने और 11 पूजा के जरिये दर्ज कराए थे। विशेष कोर्ट से 30 अक्टूबर 2024 को मामला खारिज हुआ तो विशेष सीजेएम की कोर्ट से तथ्यों को छिपाते हुए धोखाधड़ी से फर्जी एफआईआर दर्ज करा दी थी।

एसीपी राधा रमण सिंह को उच्च कोटि की विवेचना पर करें पुरस्कृत
विशेष न्यायाधीश ने तत्कालीन एसीपी विभूतिखंड राधा रमण सिंह (वर्तमान में एसीपी ट्रैफिक) की सराहना करते हुए विवेचना को उच्चकोटि की बताया। साथ ही ऐसे विवेचकों को पुरस्कृत करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि यदि निर्दोष व्यक्ति झूठे मुकदमें के मकडजाल से बचकर निकल जाए तो उसे वास्तव में मोस्ट लकी फाल्स रेप केस सर्वाइवर कहा जाना उचित होगा।

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सह आरोपी को चेतावनी, राहत राशि पर सवाल, एआई से करें निगरानी, दागियों को सख्त संदेश
कोर्ट ने वकील की सहयोगी पूजा रावत को दोषमुक्त कर जेल से तत्काल रिहाई का आदेश दिया। सख्त चेतावनी दी कि भविष्य में झूठे मुकदमे पर कठोर कार्रवाई होगी। फैसले में कहा कि केस दर्ज होने के आधार पर पीड़ित को राहत राशि न दी जाए। राशि तभी मिलेगी, जब पुलिस चार्जशीट दायर कर दे या कोर्ट अभियुक्त को तलब कर ले। कोर्ट ने माना कि नकद सहायता से झूठी एफआईआर की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया कि आरोपी के खिलाफ बार-बार दर्ज होने वाले केस की जानकारी अनिवार्य रूप से एफआईआर की कॉपी में दर्ज की जाए। एआई टूल्स की मदद लें दोषी वकील जैसे अपराधी न्यायालय में प्रवेश प्रैक्टिस न कर सकें । आदेश की प्रति बार काउंसिल इलाहाबाद भेजी जाएगी।

सीबीआई ने दर्ज किया केस
बेगुनाही के लिए अरविन्द ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पांच मार्च को सीबीआई जांच के आदेश हुए। आपराधिक अवमानना का मामला चला। जमानत आदेश पर फॉड किया। सीबीआई ने केस दर्ज किया है।

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